5 Simple Statements About Shodashi Explained

Wiki Article



Celebrations like Lalita Jayanti underscore her significance, wherever rituals and choices are made in her honor. These observances undoubtedly are a testament to her enduring attract plus the profound impact she has on her devotees' life.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

Soon after eleven rosaries on the main working day of beginning Using the Mantra, you'll be able to provide down the chanting to 1 rosary every day and chant eleven rosaries to the eleventh day, on the final working day of the chanting.

This mantra retains the facility to elevate the head, purify views, and hook up devotees to their larger selves. Here's the in depth great things about chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं get more info साधकानां विधत्ते

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

Her part transcends the mere granting of worldly pleasures and extends to the purification from the soul, leading to spiritual enlightenment.

Lalita Jayanti, a substantial Pageant in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship functions like darshans and jagratas.

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

Report this wiki page